Tuesday, May 31, 2011

जुर्रत हो गई है

यह जुर्रत हो गई है
मुहब्बत हो गई है

उसे भाई ने मारा
सियासत हो गई है

जालिमों बच के रहना
बग़ावत हो गई है

यहाँ मातम न हो ग़र
शहादत हो गई है

बुज़र्गों का करूं क्या?
वसीयत हो गई है

फटा बम और क्या हो!!
मज़म्मत हो गई है

Monday, May 9, 2011

तन्हाई के सजे धजे बाजारो में

तन्हाई के सजे धजे बाजारो में , तेरी याद को सोच समझ के खर्चा है
तभी तो तेरा छोड के मुझको जाने का, दीवानों में  इतना गहरा चर्चा है!!
 
मुमकिन है के जाने अनजाने तूने दिल को मेरे ठेस कभी पहुंचाई हो
(पर)क्या मेरी औकात कि मै कुछ गिला करूं, मेरे गुनाहों  का लंबा चौडा परचा है!!
 
मेरी वजह से तेरे जो आंसू छलके, जी में आता है की उनमे  डूब मरूं
लेकिन  खुश है सोच के मेरी खुदगर्जी, इसी बहाने  दुनिया में मेरा चर्चा है!!
 
दुनिया जब मश्गुल थी  दौलत बोने में, मैंने वक़्त गंवाया फ़र्ज़ निभाने में
हां!! पैसे की क़िल्ल्त रहती है लेकिन, यारों  का यारी में अव्वल दर्जा है!!
 
तेरे बिन जीने की मेरी तय्यारी, एक ज़रा सी बात ने मिट्टी कर डाली
गीली होंगी फिर से दिल की दीवारें, तेरी याद का बादल  फिरसे गरजा है!!