Wednesday, July 20, 2011

रहमत की बरसात नही है

रहमत की बरसात नही है
मां अब मेरे साथ नहीं है

तेज़ हवा की ज़द में होना
शह बेशक़ हो मात नहीं है

गाँव में तारे गिन लेते थे
शहर में दिन है रात नहीं है

बीवी, बच्चे, अम्मी, अब्बू
मेरे बस की बात नहीं है

पतझड़ में भी साथ रहेगी
डाल है मेरी पात नहीं है

प्यास मेरी की रीस करेगा
साग़र की औक़ात नहीं है

Shayar se insaan hoon achha
kya ye koi बात नहीं है!!

2 comments:

  1. गाँव में तारे गिन लेते थे
    शहर में दिन है रात नहीं है

    क्या खूब लिखा है।
    ग़ज़ल बहुत पसंद आई।

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  2. रहमत की बरसात नही है
    मां अब मेरे साथ नहीं है |

    वाह , गागर में सागर
    अद्भुत |

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