Thursday, December 20, 2012

वफ़ा लिख चुके हैं, जफ़ा लिख चुके हैं
मुहब्बत पे कितनी दफ़ा लिख चुके हैं

सियासत हुई नाज़बरदार उनकी
जिन्हें सारे मुनसिफ सज़ा लिख चुके हैं

तुम्हे ज़िद है बीमार रहने की हम तो
दुआ कर चुके हैं, दवा लिख चुके हैं

तू रहने दे क़ासिद न बातों से बहला
वो चाहत को मेरी ख़ता लिख चुके हैं

मुहब्बत में तेरी, तू माने न माने
तुझे बेख़बर हम खुदा लिख चुके हैं

Monday, December 17, 2012


मेरा जो ये ख़्वाब है, छीनो!
आँखों को तेज़ाब है, छीनो
जो सीधे से ना मिलता हो
सीधा एक हिसाब है, छीनो
सांस गले की फांस हुई है
अब मेरी फ़रियाद है, छीनों
पुरखों की सब दौलत- शोहरत
मुझको एक अज़ाब है छीनो
मांगे से ये कब मिलती है
सरकारी इमदाद है, छीनो

Friday, November 23, 2012

ख़्वाबों की  ताबीर सोचता रहता हूँ
मैं आँखों से नींद पोंछता रहता हूँ

ज़ालिम और मज़लूम का क़िस्सा लिखने को
मैं ख़ुद अपना मांस नोचता रहता हूँ

मैंने जिस पल तुझको भूलना चाहा था
अब अक्सर उस पल को कोसता रहता हूँ

जिसने मेरे शेर पढ़े अखबारों में
वो क्या जाने मैं क्या सोचता रहता हूँ

 आँखें ही उजियाला हैं समझाने को
मैं सूरज की और देखता रहता हूँ

Monday, November 5, 2012

जहाँ देखो वहां आता नज़र है
तो मुमकिन है ख़ुदा भी दर-ब-दर है

अज़ाबों में यहाँ हर  बा-ख़बर है
मज़े में है वही  जो बे-ख़बर है

उठा लें तेग़ ग़ालिब, ज़ौक-ओ-मोमिन
हुआ शाइर बहादुर शाह ज़फ़र है

यक़ीनन  कोई  तुमको चाहता है
हसीं होना मुहब्बत का असर है

बिखेरा उसने हर इक रंग लेकिन
वही दिखता है जो रंग-ए -नज़र है 

Monday, October 29, 2012

यहाँ जज़्बात-ओ-एहसासात को अश`आर करने में
बहाया  खून आँखों ने ग़ज़ल से प्यार  करने में
मेरे चेहरे की झुर्रियों को ज़रा तुम गौर  से देखो
लगे हैं उम्र को बरसों मेरा सिंगार करने में
निहत्था उसने भेजा ही नहीं तुमको ज़रा सोचो
लगे है देर कितनी हाथ को हथियार करने में
बहाए तूने ख़त मेरे जला दीं मैंने तसवीरें
लगे हैं हम मुहब्बत के निशाँ मिस्मार करने मे
मिले हैं रात के सीने में कितने तीर किरणों के
हुआ इक ख्वाब खुद चुरा मुझे बेदार करने में
तेरी तस्वीर, तेरे ख़त ये सब अपनी जगह लेकिन
मज़ा कुछ और है ज़ालिम तेरा दीदार करने में
  
हवा, पानी शहर के और जड़ों से टूटना मेरा
यक़ीनन  हाथ है इनका मुझे बीमार करने में
मुहब्बत एक-तरफ़ा भी मुक़म्मल शै है जानेमन
गंवाएं वक़्त क्यों इज़हार या इक़रार  करने में

Wednesday, October 10, 2012

लोगों की आँखों में खटकने वाले हैं
अब हम उसके दिल में धड़कने वाले हैं

उसके हुस्न का रंग निखर कर आएगा
अब हम  उसपे जान छिड़कने वाले हैं

मंजिल भी मायूस न कर दे इस डर से
 हम थोड़ा सा और भटकने वाले हैं

ख़्वाब में देखा बाजू का कट कर गिरना
यअनी वो पहलू से सरकने वाले हैं

Tuesday, September 18, 2012

और जहां से बेशक तोड़ के रखते हैं
आंसू बीते कल से जोड़ के रखते हैं

तुम भी इस क़िस्से का हिस्सा हो जाना
हम कुछ सतरें खाली छोड़ के रखते हैं

मंजिल की चाहत तो ख़ाम-ख़याली है
सफ़र के आशिक़  छाले फोड़ के रखते हैं

आज के दिन तुम बिलकुल याद नहीं आये
डायरी का ये पन्ना मोड़ के रखते हैं

साथ गुज़ारा वक़्त बिछाकर रखा है
तेरी सारी यादें ओढ़ के रखते हैं

Friday, August 31, 2012

ठीक है इलज़ाम जो उसपे धरा है
दौर है ये खोट का और वो खरा है

यूँ न समझो एक तुम पर ही टिकी है
ज़िन्दगी  को मौत का भी आसरा है

हमको ये अफ़सोस मरहम कर न पाए
ज़ख्म को ये नाज़ के अबतक हरा है

उसने पूरे दाम देकर ली रिहाई
पहले तडपा, छटपटाया फिर मरा है

थम गयी उल्फत की बारिश हाँ मगर अब
दिल-गली में याद का पानी भरा है

Friday, August 24, 2012

बात से, बैठक से, धरने से क्या होता है
बस इक मेरे ही करने से क्या होता है

खून का प्यासा होता है ये इश्क़ का बूटा
आँखों के आंसू गिरने से क्या होता है

बात तो तब थी सारा बेडा पार उतरता
इक खाली कश्ती तरने से क्या होता है

मैंने कितनी बातें तय करके रखीं है
लेकिन मेरे तय करने से क्या होता है

मैं उसकी नज़रों को जीते-जी ना भाया
अब उसपे मेरे मरने से क्या होता है

मेरे बुज़दिल होंठों से वो आँखें बोलीं
चुप-चुपके आहें भरने से क्या होता है

लिखो ऐसी बात की सारी दुनिया जागे
यूँ पन्ने काले करने से क्या होता है

Tuesday, July 31, 2012

वो  गर बनना संवरना जानता है
मेरा  दिल आह  भरना जानता है
 
अँधेरे को लगे  एक सब एक जैसा
उजाला फ़र्क़ करना जानता है

वही जिंदा है इस झूठे जहां में
जो सच्चाई पे मरना जानता है

है फितरत वक़्त की मरहम के जैसी
यह गहरे  ज़ख्म भरना जानता है

सयाना हो गया काजल की अब वो
 संवरना कब बिखरना जानता है




Monday, June 25, 2012

इक पतंगा रिझाए रखा है
दिल दिए सा जलाए रखा है

रौशनी जिसकी ऐब गिनती थी
इक दिया था! बुझाए रखा है

दिल की अलमारी में सलीक़े से
याद तो तह लगाए रखा है

तेरे ज़ख्मों को जान-ए-जां हमने
मरहमों से बचाए रखा है

भूलना तुझको मेरे बस में कहाँ
तुझको दिल में छुपाये रखा है

Friday, May 18, 2012

सीने में इक आग लगाए रखते हैं
मुझको मेरे ख़्वाब जगाये रखते हैं
 
जीने की ये कोशिश हमको मार न डाले
हम दिल के अरमान दबाये रखते हैं
 
मुफलिस को आराम नहीं है उसको अक्सर
आटा, चावल, दाल भगाए रखते हैं
 
हाँ! हम उनसे ख़्वाबों में ही मिलते हैं पर
उन से  यूँ पहचान  बनाए रखते हैं
 
उसका लौट के आना नामुमकिन है लेकिन
हम  फिर भी घर-बार सजाये रखते हैं

Wednesday, May 2, 2012

सच यहाँ बीती कहानी हो गया

सच यहाँ बीती कहानी हो गया
झूठ सबका यार-ए-जानी हो गया
 
हुस्न तेरा शाम की चादर तले
चम्पई से धानी- धानी हो गया
 
हम जहाँ मिलते थे जानां  वो शजर
गुमशुदा कोई निशानी हो गया
 
मेरा बेटा फ़र्ज़ के सहराओं में
हू-ब-हू मेरी जवानी हो गया
 
एक आंसू वक़्त की देहलीज़ पर
जैसे दरिया की रवानी हो गया
 
मैं जो प्यासा लौट आया हूँ विशाल
इक समंदर पानी पानी हो गया
 

Saturday, April 28, 2012

सुबह होने में देर हो शायद!!

रात तो ढल चुकी है हाँ लेकिन
सुबह होने में देर हो शायद

जागते हैं अभी क़लम-कागज़
मुझको सोने में देर हो शायद

कुछ ख़यालों में है झिझक बाक़ी
शेर होने में देर हो शायद

और कितने ही काम बाक़ी हैं
ज़ख्म धोने में देर हो शायद

वो दिलासा सभी को देता है
उसको रोने में देर हो शायद

मुझको दुनिया से भी निभानी है
तेरा होने में देर हो शायद

Wednesday, April 18, 2012

इश्क जो सीने में पनपे तो सूरत और निखरती है

हिम्मत को ग़र अक्ल मिले तो तख्तों पे जा चढ़ती है
हिम्मत हो या अक्ल हो लेकिन  हुस्न का पानी भरती है

मेरी ही अंदर की मुहब्बत बह गई शायद आँखों से
वर्ना चुपके-चुपके वो तो आज भी मुझपे मरती है

हम दिल की कर ही लेते हैं क़ुफ्र-ओ-सवाब के पर्दे में
और खुदा को ये लगता है दुनिया उस से डरती है

अच्छी शक्लों वाले सुन लें, जांचा परखा नुस्खा है
इश्क जो सीने में पनपे तो सूरत और निखरती है

अक्ल-ओ-हुनर भी होंगे लेकिन मेरे अब्बू कहते हैं
मेहनत करने वालों की तो क़िस्मत और संवरती है


Wednesday, March 28, 2012

मेरे घर की रौनक किसको याद नहीं है!!

उसके होते थी जो उसके बाद नहीं है
मेरे घर की रौनक किसको याद नहीं है!!

मुझको क़ैद में डालो जाने क्या कर बैठूं
पिंजरा टूट गया है और सय्याद नहीं है

उसकी अलमारी में इक तस्वीर मिली है
तुम कहते थे उसको कुछ भी याद नहीं है

मैं क्या चाहूं वह मुझसे बेहतर जाने है
मेरी कोई अर्ज़ी या फ़रियाद नहीं है

उसकी राहें तकते अरसा बीत गया है
क्यों तकता हूँ अब ये मुझको याद नहीं है




Wednesday, March 21, 2012

निगोड़ी अखियाँ

मेरे जिया की, मेरे पिया को, बतावें सारी, निगोड़ी अखियाँ
वो पूछ लेते,  हैं इनसे मोरी, सो रास्ते पे, हैं छोड़ी अखियाँ

वो कह गए थे, वो आ मिलेंगे, मैं बांवरी ही भटक गयी थी
मुझे जो मेले, में  मस्त देखा, उन्होंने मो से, हैं मोड़ी अखियाँ

बरसती आँखें, ज्यों सीप मोती, है शर्त इतनी, हो प्रीत गूढ़ी
सखी मिलें जो, पिया तो कहना, हुई हमारी, करोड़ी अखियाँ

मेरी हवस का, इलाज दुनिया, मगर ये दुनिया, है मर्ज़ भारी
वो मिल गए तो, बेमानी दुनिया, सो उनसे आखिर, में जोड़ी अखियाँ

Tuesday, February 28, 2012

चारदिवारी पर तो हमने कांच बिछाकर रखा है

सोच रहा हूँ काग़ा आखिर क्यों संदेसा लाएगा
चारदिवारी पर तो हमने कांच बिछाकर रखा है

देखें उसके चाहने वाले रीस कहाँ तक करते हैं
हमने छत पे उसकी ख़ातिर चाँद मंगाकर रखा है

सोहबत की तासीर से शायद क़ुदरत भी वाक़िफ ही थी
उसने दिल को ज़ेहन से थोड़ा दूर बिठाकर रखा है

इक दिन मैं अपने बेटे के नाम से जाना जाऊंगा
बाप ने दिल ही दिल में ये अरमान सजाकर रखा है

आखिर तक वो ना माना तो दिल का ज़ख्म दिखा दूंगा
आड़े वक़्त को तरकश में ये तीर छुपाकर रखा है

Monday, February 13, 2012

वो ख़्वाबों में भेस बदल कर आया है

उसने मुझको ऐसे भी अज़माया है
वो ख़्वाबों में भेस बदल कर आया है

मां डरती है बेटे जबसे मर्द हुए
मंझले ने कल उसपर हाथ उठाया है

बाप की गर्दन कंधे निग़ल गए सुनकर
बेटे ने पटवारी घर बुलवाया है

जाने क्या होता था  दही में, शक्कर में
कितनी बार तो मुझको पास कराया है

नीले रंग का कुर्ता सबके पास है पर
उसके वाला आसमान से आया है

Wednesday, February 1, 2012

Chaand Sitaare Milkar Use Sataate Honge

Chaand sitaare milkar use sataate honge
Usko mere naam se phool chidhaate honge
 
Aankhon ki wo jheelein bhar bhar aati hongi
Usko mere qisse log sunaate honge
 
Gusse pe na qaboo rehta hoga jab jab
Mere sher ko apna log bataate honge
 
Resham ke sirhaane bistar se girne par
Usko meri baahein yaad dilaate honge
 
Unke dil kaa bojha kuchh kam hota hoga
Wo jab apni jhooti qasmein khaate honge

Wednesday, January 25, 2012

Thodi Si Achhayi Se Tu Sadiyon Jaanaa Jaayega

Thodi si achhayi se tu sadiyon jaanaa jaayega
Andhon mein gar kaanaa hai tu raajaa maanaa jaayegaa

Thodi si achhayi se tu sadiyon jaanaa jaayega
Daur-e- giraawat mein tu uthh ja insaan maanaa jayegaa

Mera asla tera tamancha lekin khel adhoora hai
Unko bhi to karo ikathha jinpar taanaa jaayegaa

Galti na hojaye mujhse jaane ya anjaane mein
Mere kaam se mera saaraa kunba jaanaa jaayega

Bachhe ki jo zid hai to fir do gubbare le lo naa!
Warna ye bhi ro dega aur mera khaanaa jaayegaa

Aaj nahi parwaah kisko jis benoor haweli ki
Gir jaane ke baad isikaa malbaa chhaanaa jaayegaa
 

Monday, January 16, 2012

Mujhko Seedhi Saadi Baatein Yaad Raheingi

Mujhko seedhi saadi baatein yaad raheingi
Gum hoti dehaati batein yaad raheingi

Jhoot fareb se jeetega; sach harwaa dega
Mujhko sab bharmaati baatein yaad raheingi

Aankhon ne aankhon se ki jo khamoshi mein
Mujhko wo gash khaati** baatein yaad kareingi

Shayar ho jaa, ghazlein keh le, lekin fir bhi
Maan ko wo tutlaati baatein yaad raheingi

Aur nikhar kar aanaa hai is hunar ko lekin
Mujhko ye shuruaati baatein yaad raheingi

** Gash Khaana: Feeling Dizzy/ Chakkar aanaa

Tuesday, January 3, 2012

Maseehaao Mujhe Barbaad Kar Do

Mere sab dushmanon ko shaad** kar do
Maseehaao mujhe barbaad kar do

Hai aaleeshaan pinjraa, par parindaa
Yeh kehtaa hai mujhe aazaad kar do

Use aane pe jo majboor kar de
Khataa aisi koi eejaad*** kar do

Jo agli nasl kaa saayaa baneingey
Unhi paudhon ki mujhko khaad kar do

Meri manzil alag, raahein judaa hain
Iraadon ko mere faulaad kar do


**Shaad: Happy
***: Eejaad: Invent