Wednesday, April 18, 2012

इश्क जो सीने में पनपे तो सूरत और निखरती है

हिम्मत को ग़र अक्ल मिले तो तख्तों पे जा चढ़ती है
हिम्मत हो या अक्ल हो लेकिन  हुस्न का पानी भरती है

मेरी ही अंदर की मुहब्बत बह गई शायद आँखों से
वर्ना चुपके-चुपके वो तो आज भी मुझपे मरती है

हम दिल की कर ही लेते हैं क़ुफ्र-ओ-सवाब के पर्दे में
और खुदा को ये लगता है दुनिया उस से डरती है

अच्छी शक्लों वाले सुन लें, जांचा परखा नुस्खा है
इश्क जो सीने में पनपे तो सूरत और निखरती है

अक्ल-ओ-हुनर भी होंगे लेकिन मेरे अब्बू कहते हैं
मेहनत करने वालों की तो क़िस्मत और संवरती है


3 comments:

  1. बहुत बढ़िया गज़ल......

    अच्छी शक्लों वाले सुन लें, जांचा परखा नुस्खा है
    इश्क जो सीने में पनपे तो सूरत और निखरती है

    बधाई कबूल करें विशाल जी.

    अनु

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  2. उम्दा !!
    वर्ड वेरिफिकेशन अगर आप डिसऎबल कर दें तो कमेंट करने में आसानी होगी ।

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  3. मोहक ,विचारशील रचना आभार जी /

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