Wednesday, May 2, 2012

सच यहाँ बीती कहानी हो गया

सच यहाँ बीती कहानी हो गया
झूठ सबका यार-ए-जानी हो गया
 
हुस्न तेरा शाम की चादर तले
चम्पई से धानी- धानी हो गया
 
हम जहाँ मिलते थे जानां  वो शजर
गुमशुदा कोई निशानी हो गया
 
मेरा बेटा फ़र्ज़ के सहराओं में
हू-ब-हू मेरी जवानी हो गया
 
एक आंसू वक़्त की देहलीज़ पर
जैसे दरिया की रवानी हो गया
 
मैं जो प्यासा लौट आया हूँ विशाल
इक समंदर पानी पानी हो गया
 

1 comment:

  1. Sangat mein teri hum bhi khudparast*** ho gaye
    Khud humne apna naam likha pehli baar hai

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