Thursday, December 20, 2012

वफ़ा लिख चुके हैं, जफ़ा लिख चुके हैं
मुहब्बत पे कितनी दफ़ा लिख चुके हैं

सियासत हुई नाज़बरदार उनकी
जिन्हें सारे मुनसिफ सज़ा लिख चुके हैं

तुम्हे ज़िद है बीमार रहने की हम तो
दुआ कर चुके हैं, दवा लिख चुके हैं

तू रहने दे क़ासिद न बातों से बहला
वो चाहत को मेरी ख़ता लिख चुके हैं

मुहब्बत में तेरी, तू माने न माने
तुझे बेख़बर हम खुदा लिख चुके हैं

1 comment:

  1. हमेशा की तरह बहुत अच्छा लिखा है भैया |

    सादर

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