Monday, November 11, 2013

लफ़्ज़ों  का व्यापार सिखा दे
मुझको दुनियादार बना दे

ख़ौफ़-ए- ख़ुदा यूँ क़ायम होगा
मुझको  थोड़ी और सज़ा दे

मिसरे नारों से गूँजेंगे
स्याही में कुछ ख़ून मिला दे 

तौबा कि टूटन के ग़म में 
मुझको थोड़ी और पिला दे

मैं अब ख़ुद से ऊब  गया हूँ
मुझको कोई और बना दे

Thursday, November 7, 2013

कोई पूछता नहीं है, कोई छेड़ता नहीं है
मेरे काम आ रहा है, 'मेरा काम का न होना' !!

कोई इत्तेफ़ाक़ है या चले जाने का इशारा
तेरी बज़्म में हमारे लिए जाम का न होना

मेरे हाथ सिर्फ मेहनत, तेरे हाथ में थी शोहरत
तो ख़ता बता है किसकी, मेरे नाम का न होना

मुझे याद आयी अक़सर वो शुरू की बेकरारी
मेरा दिन न काट पाना तेरी शाम का न होना

सुनें मंज़िलों के क़ैदी, बस इसी में है रिहाई
किसी धाम का न होना, किसी गाम का न होना