Monday, November 11, 2013

लफ़्ज़ों  का व्यापार सिखा दे
मुझको दुनियादार बना दे

ख़ौफ़-ए- ख़ुदा यूँ क़ायम होगा
मुझको  थोड़ी और सज़ा दे

मिसरे नारों से गूँजेंगे
स्याही में कुछ ख़ून मिला दे 

तौबा कि टूटन के ग़म में 
मुझको थोड़ी और पिला दे

मैं अब ख़ुद से ऊब  गया हूँ
मुझको कोई और बना दे

1 comment:

  1. काफी सुंदर चित्रण ..... !!!
    कभी हमारे ब्लॉग पर भी पधारे.....!!!

    खामोशियाँ

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