Wednesday, September 16, 2015

जब से इंसान कर दिया तूने
जिस्म ज़िन्दान  कर दिया तूने

ऐ मिलनसार और हसीं चेहरे
इश्क़ आसान कर दिया तूने

अश्क मोती हैं गर ये सच है तो
कितना नुक़सान कर दिया तूने

मेरे ईमान की हिफ़ाज़त कर
जब मुसलमान कर दिया तूने

फूल से ज़ख़्म बख़्श कर जानां
दिल को गुलदान कर दिया तूने

इस तरह उठ के मेरे पहलू से
मुझको वीरान कर दिया तूने

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