Wednesday, September 16, 2015

ये अदा ये सुख़न बहाना है
हमको तो हाल-ए-दिल सुनाना है

मेरी मजबूरियाँ समझ मौला
छोड़ कर जिस्म मुझको आना है

ये मेरा जिस्म, और ये दुनिया
क़ैदख़ाने में क़ैदख़ाना है

मैं उसे बेवफ़ा नहीं कहता
ख़्वाब में अब भी आना-जाना है

इक मुनासिब सा दिन बता दीजे
हाल अपना हमें सुनाना है

हम भी देखेंगे उसकी आँखों में
हमको भी ज़ब्त आज़माना है

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