Tuesday, October 18, 2016

मेरी मुश्किल करे आसान कोई
मुझे आकर करे हैरान कोई

ज़वाल ऐसा कि तुमको क्या बताएं
फ़रिश्ता हो गया इंसान कोई

निखरता जा रहा था रंग उसका
छिडकता जा रहा था जान कोई

मुझे दुनिया से यूँ आज़ाद करना
न बाक़ी छोड़ना पहचान कोई

अजी कुछ रोज़ के हैं चोचले फिर
हमें छोड़ आएगा शमशान कोई

बुरे हो तुम कि चाहत में तुम्हारी
मेरा निकला नहीं अरमान कोई

भुला देने की उसको ठान ली है
किया है काम कब आसान कोई


1 comment: